
देश की महिलाओं, जनजातीय समाज के लिए प्रेरणास्रोत है राष्ट्रपति का प्रथम वर्ष का कार्यकालः विष्णुदत्त शर्मा*
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि भारत की पहली महिला और जनजातीय समाज से आने वाली राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का आज एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो रहा है। उनका यह कार्यकाल हमारे देश की सशक्त होती नारी शक्ति की भविष्य गाथा का एक बड़ा उदाहरण है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने देश के राष्ट्रपति के रूप में जिस प्रकार अपना प्रथम वर्ष का कार्यकाल पूर्ण किया है, वह देश की मातृशक्ति और जनजातीय समाज के लिए प्रेरणादायी है।
*पार्षद से राष्ट्रपति पद तक पहुंची श्रीमती द्रौपदी मुर्मू*
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और फिर साल 2000 में वह ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं। अपनी योग्यता के बल पर द्रौपदी मुर्मू 18 मई 2015 को झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गईं और 12 जुलाई 2021 तक इस पद पर अपनी सेवाएं दी। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू आज भारत के जनजातीय समाज के लिए एक आदर्श बन चुकी हैं। उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता से जनजातीय समाज प्रेरित हो रहा है।
*हर वर्ग के उत्थान के लिए सोचती है भाजपा*
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि देश में भाजपा सरकार के आने के बाद से हर वर्ग को बराबर सम्मान मिलना सुनिश्चित हो गया है। ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ का सपना पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार में आदिवासी समाज भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ते हुए आगे बढ़ रहा है। आज जनजातीय समाज अपना विकास कर रहा है और देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने देश में पहली बार किसी जनजातीय समाज से आने वाली महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। ऐसा निर्णय केवल भाजपा में ही संभव हो सकता है, जो सर्वसमाज के विकास के लिए कार्य करती है और देश के उत्थान के बारे में सोचती है। श्री शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में महिलाओं को हर क्षेत्र में वरीयता प्रदान की गई है जो पूर्व की सरकारों में नहीं हो पाया था। इसी का परिणाम है कि देश के कई राज्यों में आज महिला राज्यपाल हैं। यह भाजपा की नीतियों व नीयत की देन है।
*महिलाओं, आदिवासियों का सम्मान कांग्रेस के स्वभाव में नहीं*
प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के नेता आदिवासियों, महिलाओं का सम्मान नहीं करते। यह उस समय ही स्पष्ट हो गया था जब राष्ट्रपति चुंनाव के दौरान कांग्रेस के नेताओं ने अपने बयानों से सारी मर्यादाओं को तार-तार कर दिया था। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का अपमान भी किया था। उन्होंने श्रीमति द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘राष्ट्रपत्नी’ जैसे शब्द का इस्तेमाल किया था। यह बयान महिलाओं के प्रति कांग्रेस की नीयत को साबित करने के लिए काफी है। श्री शर्मा ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को लेकर कांग्रेस नेता अजय कुमार ने कहा था कि वह आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि देश की एक बुरी विचारधारा (इविल फिलॉसफी) का प्रतिनिधित्व करती हैं। कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयान यह साबित करने के लिए काफी हैं कि कांग्रेस ने कभी भी आदिवासी समुदाय का भला नहीं चाहा है। उन्होंने कहाकि जब एनडीए ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था, तो कांग्रेस नेता उदित राज ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम पर ट्वीट कर उनपर तंज कसने की कोशिश की थी। उदित राज ने लिखा था कि ‘जाति देखकर खुश न होना। कोविंद जी राष्ट्रपति बने तो दलित खुश हुए और भला एक चपरासी का नहीं कर पाए।’ एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, “द्रौपदी मुर्मू जी जैसा राष्ट्रपति किसी देश को न मिले। चमचागिरी की भी हद्द है।’’ ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्र और राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाना कांग्रेस के खून में है। कांग्रेस पार्टी कभी नहीं चाहती कि जनजातीय समाज को देश का नेतृत्व करने का अवसर मिले। इसीलिए कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा को राष्ट्रपति नहीं बनने दिया था, जिन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस की युवा शाखा से की थी।
*विरोधियों को स्वीकार नहीं जनजातीय समाज की तरक्की*
श्री शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार ने हर स्तर पर आदिवासी समाज के सम्मान के बारे में तो सोचा ही है, साथ ही उनकी विरासत, संस्कृति को भी संजोने का कार्य किया है। भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में भाजपा सरकार ने उनके जन्मदिवस 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। आज पूरे देश का बच्चा-बच्चा भगवान बिरसा मुंडा के बारे में जान रहा है। जनजातीय समाज का स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसे रेखांकित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार 200 करोड़ रूपये की लागत से देशभर में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित करवा रही है। श्री शर्मा ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि उनकी सरकार आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और गरीबों की सरकार है। मोदी जी ने अपनी कही हुई हर बात को सच साबित करते हुए गरीब कल्याण की योजनाओं को जमीन पर उतारा है। लेकिन कई विरोधी दल आदिवासी समाज की प्रगति को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसी साल 31 जनवरी को संसद के बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संबोधित किया था। यह एक बहुत ही ऐतिहासिक अवसर था। लेकिन इतने महत्वपूर्ण अवसर पर भी तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी बीआरएस और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया। इन दलों ने सिर्फ जनजातीय समाज और महिलाओं का ही नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रपति तथा देश की संसदीय परंपरा, मर्यादा का भी अपमान किया था।
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